छुरिया स्थित पोस्ट मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास में लगभग 40 छात्र विभिन्न ग्रामों से आकर यहां रहकर अपनी पढ़ाई करते हैं। लेकिन इन छात्रों की जिम्मेदारी जिन पर है वही छात्रावास अधीक्षक छात्रावास में अनुपस्थित रहते हैं। छात्रों की सुरक्षा के लिए अधीक्षक की नियुक्ति की जाती है, लेकिन अधीक्षक ही गायब हो जाए तो इन बच्चों का भविष्य कैसे सुरक्षित होगा। राज्य सरकार द्वारा जिले के आदिवासी बच्चों की शिक्षा के लिए सैकड़ों छात्रावास बनाकर उनके भविष्य सुधारने की बुनियाद रखी गई है, पर वहां नियुक्त होने वाले अधीक्षक और कर्मचारी इस कदर लापरवाह हैं कि हॉस्टल में उन बच्चों के साथ न रहकर अपनी मनमानी कर रहे हैं।छात्रावास में रहने वाले छात्रों ने बताया कि अधीक्षक यहां आते तो हैं पर यहां रहते नहीं है। वे डोंगरगांव से आना-जाना करते हैं। सुबह नौ बजे आकर शाम चार बजे चले जाते हैं, जबकि नियमतः छात्रावास अधीक्षक को छात्रावास में ही रहना चाहिए। अधीक्षक के जाने के बाद छात्र केवल चौकीदार के भरोसे रहते हैं। अधीक्षक की अनुपस्थिति में किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना या गंभीर स्थिति कभी भी बन सकती है। निरीक्षण कर उचित कार्रवाई की जाएगी: सहायक संचालक अजा/जजा विभाग की सहायक संचालक दीक्षा गुप्ता ने बताया कि छात्रावास अधीक्षक को छात्रावास में ही निवास करना है, छात्रावास का निरीक्षण कर उचित कार्रवाई की जाएगी।